Friday, October 8, 2010

1 comment:

artist deepak sharma said...

"दीपक" जाए भला फिर क्यों किसी मयखाने में ।देखना पड़ता है मौका छुप के आने में ।
किरण के संग संग ज़माना उठ जाता है
"दीपक" जाए भला फिर क्यों किसी मयखाने में