Monday, November 16, 2009

2 comments:

artist deepak sharma said...

deepak only for art.art my hobby, art my eye,art my mind,art my finger

artist deepak sharma said...

"दीपक" जाए भला फिर क्यों किसी मयखाने में ।देखना पड़ता है मौका छुप के आने में ।
किरण के संग संग ज़माना उठ जाता है
"दीपक" जाए भला फिर क्यों किसी मयखाने में